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"यदि स्नेह जाग जाए, अधिकार माँग लेना Latest poem of kumar vishvas

"यदि स्नेह जाग जाए, अधिकार माँग लेना "यदि स्नेह जाग जाए, अधिकार माँग लेना मन को उचित लगे तो, तुम प्यार माँग लेना दो पल मिले हैं तुमको, यूँ ही न बीत जाएँ कुछ यूँ करो कि धड़कन, आँसू के गीत गाएँ जो मन को हार देगा, उसकी ही जीत होगी अक्षर बनेंगे गीता, हर लय में प्रीत होगी बहुमूल्य है व्यथा का, उपहार माँग लेना यदि स्नेह जाग जाए, अधिकार माँग लेना जीवन का वस्त्र बुनना, सुख-दुःख के तार लेकर कुछ शूल और हँसते, कुछ हरसिंगार लेकर दुःख की नदी बड़ी है, हिम्मत न हार जाना आशा की नाव पर चढ़, हँसकर ही पार जाना तुम भी किसी से स्वप्निल, सँसार माँग लेना यदि स्नेह जाग जाए, अधिकार माँग लेना"...(डा कुमार विश्वास)