हो काल गति से परे चिरंतन
हो काल गति से परे चिरंतन,
अभी यहाँ थे अभी यही हो।
कभी धरा पर कभी गगन में,
कभी कहाँ थे कभी कहीं हो।
तुम्हारी राधा को भान है तुम,
सकल चराचर में हो समाये।
बस एक मेरा है भाग्य मोहन,
कि जिसमें होकर भी तुम नहीं हो।
न द्वारका में मिलें बिराजे,
बिरज की गलियों में भी नहीं हो।
न योगियों के हो ध्यान में तुम,
अहम जड़े ज्ञान में नहीं हो।
तुम्हें ये जग ढूँढता है मोहन,
मगर इसे ये खबर नहीं है।
बस एक मेरा है भाग्य मोहन,
अगर कहीं हो तो तुम यही हो।
अभी यहाँ थे अभी यही हो।
कभी धरा पर कभी गगन में,
कभी कहाँ थे कभी कहीं हो।
तुम्हारी राधा को भान है तुम,
सकल चराचर में हो समाये।
बस एक मेरा है भाग्य मोहन,
कि जिसमें होकर भी तुम नहीं हो।
न द्वारका में मिलें बिराजे,
बिरज की गलियों में भी नहीं हो।
न योगियों के हो ध्यान में तुम,
अहम जड़े ज्ञान में नहीं हो।
तुम्हें ये जग ढूँढता है मोहन,
मगर इसे ये खबर नहीं है।
बस एक मेरा है भाग्य मोहन,
अगर कहीं हो तो तुम यही हो।
Thanks for sharing Kumar Vishwas Latest Shayari and Koi Deewana Kehta Hai
जवाब देंहटाएंबस एक मेरा है भाग्य मोहन कि जिस में होकर भी तुम नहीं हो॰॰👌👌👌🙏🙏❤
जवाब देंहटाएंSuperb Kumar sir👌👌👌
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंMai Apko sunta hu ....
जवाब देंहटाएंHar sabd me aisa lagta hai suraj ka prakash hai..
Aisa lagta hai ki Mai to Abhi jaga hu
Kha aate etne gahan vichar
जवाब देंहटाएंwww.rocker00lanki.blogspot.com
Hum apki soch or kavita k murid h....... Aap jag me isi tarah roshan felate rhna..... Tassali hooti h ki koi to h bolne wala
जवाब देंहटाएंNishabdh radhye radhye
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